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फैशन: उस्तादों की नई जमात का जादू

डिजाइन को समझाने के लिए अगर आप टेलिपोर्टेशन शब्द का इस्तेमाल करें, तो हाल में दिल्ली में अमेजन इंडिया फैशन वीक में गौरव जय गुप्ता के शो का सटीक विवरण दे पाएंगे. उनके बनाए परिधान पहनकर जब रैम्प पर मॉडलों की लहर उभरी, तो उसे दिखाने के लिए गुप्ता ने आइसलैंड की शैली वाले कलर पैलेट का इस्तेमाल किया—बर्फीले हरे, तीखे नीले और टिमटिमाते धूसर रंगों का एक सम्मिश्रण. इसकी पृष्ठभूमि में दमक रही स्वर्णिम और इस्पाती चांदी की आभा उनकी रचनात्मकता के दुस्साहस का उदाहरण थी. मद्धिम-सी हरी छायाएं कमजोरियों की निशानी थीं तो कांस्य और सोने की किरचियां मौन शक्ति का आभास देती थीं. गुप्ता उन नई पीढ़ी के डिजाइनरों में एक हैं जिन्हें मेड-इन-इंडिया डिजाइनों को वैश्विक मंचों पर ले जाने में कोई संकोच नहीं होता. इनके काम में मनीष अरोड़ा वाला भड़कीलापन नहीं है जिसके सहारे पेरिस के फैशन राजमार्ग पर पहुंचने वाले वे पहले भारतीय हुए थे, बल्कि यह एक महीन फुसफुसाहट जैसी चीज हैं जिसकी अनुगूंज भारतीय चंदेरी और जरी जैसे हस्तशिल्प में सुनाई देती है जबकि उसकी छाया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रनवे रेडी कट में झलकती है. फैशन वीक में ऐसे नए उस्तादों का खुद पर भरोसा देखते ही बनता थाः चाहे राहुल मिश्रा का मद्धिम फैशन हो जहां हर परिधान एक कहानी सुनाता है, सामंत चौहान का नए सांचे में गढ़ा भागलपुरी सिल्क हो, परंपरागत कढ़ाई को चतुराई से बरतने की अनीत अरोड़ा की कला हो या गौरव जय गुप्ता के नए दौर के कपड़े, जिसमें सिल्क को स्टील और तांबे के साथ बुना गया है. फैशन वीक में गुप्ता के कलेक्शन में सिलुएट बिल्कुल साफ-सुथरे और न्यूनतम थे, कटाई तीखी और कसीदाकारी किया हुआ कपड़ा बिल्कुल ऐसा लगता था जैसे किसी ने उसे अब तक छुआ न हो. सीजन के इस सबसे सशक्त कलेक्शन में 37 अलग-अलग परिधानों का प्रदर्शन किया गया. ग्रामीण हस्तशिल्पकारों के बुने प्रायोगिक फैब्रिक से तैयार गुप्ता का काम फैशन की नई भावना को रेखांकित करता हैः इसकी जड़ें लोकल हैं लेकिन भाषा ग्लोबल! अमेरिका के मिनेसोटा स्थित सेंट कैथरीन यूनिवर्सिटी में अपैरेल, मर्चेंडाइजिंग और डिजाइन की एसोसिएट प्रोफेसर अनुपमा पसरीचा कहती हैं, ''भारतीय शिल्पकला की विरासत और वैश्विक उपभोक्ताओं के लिए डिजाइन निर्मित करने के मामले में राहुल मिश्रा, गौरव जय गुप्ता और सुकेत धीर अलग खड़े नजर आते हैं. उन्होंने अपनी ओर अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है. इनके डिजाइन समकालीन और अद्भुत हैं जिनका कलर पैलेट ग्लोबल है." इस नए काम की अपील इतनी ज्यादा है कि सुकेत धीर और राहुल मिश्रा ने क्रमशः 2016 और 2014 में अपने मेंसवियर और विमेंसवियर कलेक्शन के लिए इंटरनेशनल वूलमार्क पुरस्कार जीत लिया था.

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