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Geny And Gney जानकारी : आपकी सोचने और समझने की क्षमता को प्रभावित कर रहा वायु प्रदूषण

नई दिल्ली : वायु प्रदूषण के ज़हरीले कण अब इंसानों के दिमाग में भी पाए जाने लगे हैं। यानी वायु प्रदूषण सिर्फ आपकों सांस से जुड़ी परेशानियां ही नहीं दे रहा बल्कि आपकी सोचने और समझने की क्षमता को भी प्रभावित कर रहा है। पहली बार वैज्ञानिकों ने एक जांच में पाया है कि वायु प्रदूषण के दौरान पैदा होने वाले चुंबकीय कण आपके दिमाग में भी जमा हो सकते हैं। ये स्टडी मेक्सिको सिटी और ब्रिटेन के मैनचेस्टर में रहने वाले लोगों पर की गई। प्रदूषित हवा से होते हुए आपके दिमाग तक पहुंचने वाले ये चुंबकीय कण बहुत ज़हरीले होते हैं। वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि ये कण अल्जाइमर जैसी दिमागी बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं। वैज्ञानिकों ने चुंबकीय कणों की जांच करके पता लगाया है कि लोगों के दिमाग में ये कण लाखों की संख्या में मौजूद थे। ये कण बिल्कुल वैसे ही हैं जैसे वाहनों के धुएं, पावर स्टेशनों के धुएं और खुले इलाक़ों में लगी आग से निकलते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये कण दिमाग की प्राकृतिक संरचना को प्रभावित करते हैं और दिमाग की कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचाते हैं। ये शोध ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी द्वारा किया गया है। इस शोध में शामिल वैज्ञानिकों के मुताबिक दिमाग के अंदर प्राकृतिक तौर पर कुछ चुंबकीय कण पहले से होते हैं। लेकिन वायु प्रदूषण द्वारा दिमाग में पहुंचने वाले कण दिमाग के काम करने के तरीकों को प्रभावित कर सकते हैं। साधारण भाषा में आप कह सकते हैं कि प्रदूषण के ये कण इंसान का दिमाग ख़राब कर रहे हैं। ज़ाहिर है भारत जैसे देशों में ये खतरा और भी ज्यादा है क्योंकि भारत में प्रदूषण का स्तर सारी सीमाएं पार कर चुका है। दीवाली के बाद भारत के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर सामान्य से ज्यादा हो गया है। दीवाली के दिन दिल्ली में प्रदूषित कणों यानी PM 2.5 का औसत अधिकतम स्तर 500 माइक्रोग्राम दर्ज किया गया। -जबकि वर्ष 2015 में दीवाली के दिन दिल्ली में PM 2.5 का औसत अधिकतम स्तर 369 माइक्रोग्राम रिकॉर्ड किया गया था। -यानी इस बार दिल्ली की दीवाली प्रदूषण के मामले में करीब 35 प्रतिशत ज्यादा ज़हरीली थी। -सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक दीवाली के दिन अमेरिकी दूतावास के पास PM 2.5 का उच्चतम स्तर 999 माइक्रोग्राम था। -सामान्य दिनों में दिल्ली में PM 2.5 का स्तर 153 माइक्रोग्राम होता है हालांकि ये भी तय मानक से तीन गुने से भी ज़्यादा है। PM 2.5 का स्तर शून्य से 50 के बीच होना चाहिए। हमारी टीम ने मंगलवार रात 8 बजे देश के कुछ शहरों में प्रदूषण का स्तर मापा और जो आंकड़े हमें मिले वो काफी चिंताजनक हैं। PM 2.5 कणों के मामले में फरीदाबाद में प्रदूषण का स्तर 985 माइक्रोग्राम था। कानपुर में 135 माइक्रोग्राम, लखनऊ में 210 माइक्रोग्राम और दिल्ली में ये स्तर 315 माइक्रोग्राम था। -दुनिया के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में 10 शहर भारत के हैं। PM 2.5 कणों के प्रदूषण के मामले में भारत के 4 शहर यानी ग्वालियर, इलाहाबाद, पटना और रायपुर दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। -भारत में वायु प्रदूषण की वजह से हर वर्ष 13 लाख लोगों की मौत हो जाती है। -यानी हर ढाई मिनट में एक व्यक्ति की मौत वायु प्रदूषण की वजह से हो जाती है। -वायु प्रदूषण की वजह से हर वर्ष देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP को करीब साढ़े 5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है। -लैंचेस्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में दिमाग के अंदर प्रदूषण के जो कण देखे, वो वाहनों से निकलने वाले धुएं और पावर प्लांट्स से निकलते हैं। और भारत में ये दोनों ही वायु प्रदूषण की सबसे बड़ी वजहों में से एक है। इसे आप दिल्ली के उदाहरण से समझ सकते हैं। -दिल्ली में वाहनों से निकलने वाला धुआं 63 प्रतिशत वायु प्रदूषण की वजह बनता है। -इसी तरह उद्योग दिल्ली की हवा को प्रदूषित करने में 29 फीसदी का योगदान देते हैं। -जनवरी 2015 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि दिल्ली में 45 फीसदी से ज्यादा PM 2.5 कण ट्रकों की वजह से फैलते हैं। -जबकि दिल्ली की हवा में मौज़ूद 95 फीसदी से ज्यादा सल्फर डाइऑक्साइड गैस उद्योगों और पावर प्लांट्स से निकलती है। UNICEF की एक नई स्टडी के मुताबिक दुनिया भर के 30 करोड़ बच्चे ऐसे इलाकों में रहते हैं। जहां की हवा बहुत प्रदूषित है, और इसकी वजह से बच्चों की जान भी जा सकती है। इसी रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि दुनिया भर में हर साल करीब 5 वर्ष तक की उम्र के 6 लाख बच्चों की मौत वायु प्रदूषण की वजह से होती है यानी वायु प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या है लेकिन भारत के लिए ये कुछ ज़्यादा ही गंभीर समस्या है। जिन शहरों को हम भारत का सबसे अच्छा और लोगों की किस्मत बदलने वाला शहर मानते हैं वो दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिने जाते हैं। इन शहरों में आप पैसा तो कमा सकते हैं लेकिन अंत में वो पैसा भी आपके इलाज पर ही खर्च होगा। आप खुद ही सोचिए कि जो शहर सांस लेने लायक हवा नहीं दे सकता वो आपकी किस्मत कैसे बदलेगा।

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